मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता चेक करना सरकार का काम, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने से किया इंकार

इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 में खाद्य पदार्थों को लोगों के लिए सुरक्षित रखने को लेकर व्यवस्था है. अगर किसी मामले में प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर सवाल है, तो याचिकाकर्ता उसका इस्तेमाल करे. मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता चेक करना सरकार का काम, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने से किया इंकार 

Nov 29, 2024 - 17:14
मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता चेक करना सरकार का काम, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने से किया इंकार

मंदिरों में बांटे जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने की मांग सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है. फूड सेफ्टी एक्ट में इस बात को लेकर पहले से व्यवस्था है. लोग चाहें तो उसका उपयोग कर सकते हैं.प्रीति हरिहर महापात्रा नाम की याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि पूरे देश के मंदिरों में बिना किसी उचित जांच के प्रसाद बांटे जा रहे हैं. इसे नियमित करने की ज़रूरत है. याचिका में तिरुपति लड्डू प्रसाद को लेकर उपजे विवाद का भी हवाला दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट पहले ही उस मामले की जांच का आदेश दे चुका है.याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील दामा एस. नायडू ने कहा कि उनकी याचिका किसी के भी खिलाफ नहीं है. लेकिन जनहित में प्रसाद वितरण को नियमित करने की ज़रूरत है. इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 में खाद्य पदार्थों को लोगों के लिए सुरक्षित रखने को लेकर व्यवस्था है. अगर किसी मामले में प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर सवाल है, तो याचिकाकर्ता उसका इस्तेमाल करे. मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता चेक करना सरकार का काम, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने से किया इंकार 

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